वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से बिहार की सियासत में उबाल, अल्पसंख्यक नेताओं का विरोध तेज
पटना: वक्फ संशोधन बिल को लेकर जेडीयू द्वारा केंद्र सरकार का समर्थन किए जाने के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। पार्टी के भीतर खासतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े नेताओं में भारी असंतोष देखा जा रहा है। इस फैसले के विरोध में जेडीयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चार प्रमुख नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

चार नेताओं ने पार्टी छोड़ी, जताया विरोध
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव सैयद तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुर से पार्टी सदस्य मोहम्मद दिलशान राईन और पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी शामिल हैं। इन नेताओं का कहना है कि जेडीयू ने मुस्लिम समुदाय के विश्वास के साथ खिलवाड़ किया है और पार्टी का यह रुख उसकी सेक्युलर छवि के खिलाफ है।
जेडीयू का पलटवार: ‘ये नेता पार्टी से जुड़े ही नहीं’
वहीं, जेडीयू ने इन इस्तीफों को दरकिनार करते हुए कहा कि संबंधित नेताओं का पार्टी से कोई औपचारिक नाता नहीं है। जिला अध्यक्ष मंजू देवी ने बताया कि मोहम्मद कासिम अंसारी को पहले ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है और उन्होंने कभी जेडीयू के टिकट पर चुनाव भी नहीं लड़ा।
पूर्व MLC और वर्तमान नेताओं की भी नाराज़गी
इस बिल का विरोध केवल इस्तीफा देने वाले नेताओं तक सीमित नहीं है। जेडीयू के पूर्व एमएलसी मौलाना गुलाम रसूल बलियावी और मौजूदा एमएलसी गुलाम गौस ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि संशोधित बिल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है, जिससे अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
कानूनी चुनौती की तैयारी
इस बीच, एदारा-ए-शरिया के अध्यक्ष मौलाना बलियावी ने घोषणा की है कि देशभर में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत हाई कोर्टों में याचिकाएं दायर करने की तैयारी शुरू कर दी गई है और लीगल सेल की बैठकें बुलाई जा रही हैं।
क्या है पूरा मामला?
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब जेडीयू ने लोकसभा में केंद्र सरकार के पक्ष में मतदान किया। यह फैसला पार्टी के मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं को नागवार गुज़रा, जिनका मानना है कि यह कदम समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि, जेडीयू नेतृत्व ने कहा है कि यह निर्णय पार्टी की सामूहिक रणनीति का हिस्सा था और सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लिया गया है।