न्यूयॉर्क/तेहरान, 12 जून।
ईरान ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को सख्त चेतावनी दी है कि यदि इन देशों ने उस पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध दोबारा लागू करने की कोशिश की, तो वह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से कानूनी रूप से हटने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। यह चेतावनी ईरान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि सईद इरावानी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजे एक औपचारिक पत्र में दी।
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना के अनुसार, इरावानी ने कहा कि इस्लामी गणराज्य “आनुपातिक प्रतिक्रिया” देगा, जिसमें एनपीटी संधि के अनुच्छेद 10 के अंतर्गत इससे हटने का निर्णय भी शामिल हो सकता है।
यह चेतावनी उस समय आई है जब ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (E-3) वियना में IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में अमेरिका के साथ मिलकर ईरान के खिलाफ एक प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं। इस प्रस्ताव पर बुधवार को मतदान तय था, लेकिन समयाभाव के कारण इसे गुरुवार तक टाल दिया गया।
इस प्रस्ताव में ईरान पर “अघोषित परमाणु गतिविधियों” के चलते IAEA के साथ सहयोग न करने का आरोप लगाया गया है। यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो यह ईरान पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का रास्ता साफ कर सकता है। यह कदम 2015 के JCPOA समझौते से संबंधित है, जिसे ईरान पहले ही कई बार अस्वीकार कर चुका है। ईरान ने इन आरोपों को इज़राइल द्वारा फैलाई गई भ्रामक खुफिया जानकारी पर आधारित बताया है।
सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में इरावानी ने E-3 के प्रयासों को “कानूनी रूप से निराधार और राजनीतिक रूप से गैरजिम्मेदार” करार दिया और कहा कि इसका अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर गंभीर असर हो सकता है।
इस बीच, ईरानी संसद ने भी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के प्रशासन को इस मसले पर पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है। संसद के अध्यक्ष मोहम्मद-बाकर कलीबाफ ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई से मुलाकात में यह भरोसा दिलाया कि संसद परमाणु वार्ता पर निगरानी रखेगी।
वहीं, रूस ने भी इस मुद्दे पर ईरान का समर्थन किया है। वियना में रूस के स्थायी प्रतिनिधि मिखाइल उल्यानोव ने कहा कि अगर IAEA में नया प्रस्ताव लाया गया तो यह “आग से खेलने जैसा होगा” और इससे मध्य पूर्व की स्थिरता पर खतरा मंडरा सकता है।