22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली पर्यटक की क्रूर हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी संगठन ने ली, जो सीधे तौर पर पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। इस हमले का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में पुनर्जीवित हो रहे पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाना और आम लोगों के बीच भय का माहौल बनाना था।
भारत ने इस हमले का जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से दिया। मंगलवार-बुधवार की रात 1:05 बजे से 1:30 बजे तक चले इस सैन्य अभियान में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी शिविरों को एयर स्ट्राइक के जरिए नष्ट कर दिया। इन ठिकानों का चयन भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) द्वारा तैयार किए गए डोजियर के आधार पर किया गया। इन शिविरों में आतंकियों को प्रशिक्षण देकर भारत में घुसपैठ और हमलों के लिए भेजा जाता था।
नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि हमले के बाद सामने आए प्रमाणों से यह स्पष्ट हो गया है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान की सरजमीं से रची गई थी। हमले के लिए भेजे गए आतंकियों के पाकिस्तान से संचालित संचार नोट और प्रशिक्षण शिविरों के प्रमाण सुरक्षा एजेंसियों के पास मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों और संगठनों, जैसे FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स), को गुमराह करता रहा है — साजिद मीर को पहले मृत बताया गया और फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में जिंदा पाया गया।
ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग में दो महिला सैन्य अधिकारियों को शामिल किया गया। वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी ने संयुक्त रूप से जानकारी दी। विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने यह ऑपरेशन इस तरह से प्लान किया कि कोई नागरिक या आम ढांचा क्षतिग्रस्त न हो। सभी निशाने पूरी तरह सैन्य और आतंकी गतिविधियों से जुड़े थे। कर्नल कुरैशी ने कई हमलों के वीडियो भी साझा किए, जिनमें प्रमुख थे: सियालकोट के महमूना जोया कैंप और सरजाल कैंप, जो कि हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य आतंकी संगठनों के मुख्य ट्रेनिंग सेंटर माने जाते हैं।
इसके अलावा मरकज अहले हदीस (बरनाला), मरकज अब्बास (कोटली) और मुंदीके का शिविर भी ऑपरेशन में निशाना बनाया गया। मुंदीके वही शिविर है जहां 2008 मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब और डेविड हेडली को प्रशिक्षण मिला था। इन शिविरों को नष्ट कर भारत ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की है, और देश के नागरिकों पर हमला अब चुपचाप सहन नहीं किया जाएगा।
इस निर्णायक कार्रवाई ने न सिर्फ आतंकी ढांचों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की दोहरी नीति को भी उजागर किया। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा — चाहे वह सीमा के भीतर हो या बाहर।