बलरामपुर, 7 जून। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से रामानुजगंज होते हुए झारखंड को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग बरसात की शुरुआत के साथ ही बेहद जर्जर हालत में पहुंच गया है। सड़क की दुर्दशा के चलते वाहनों की आवाजाही बेहद धीमी हो गई है, जिससे यात्रा समय-consuming और बेहद असहज हो चुकी है।
गड्ढों से भरी यह सड़क अब धूलभरी गर्मियों और कीचड़भरी बरसातों की पहचान बन चुकी है। कहीं-कहीं मरम्मत का कार्य चल रहा है लेकिन वह न तो टिकाऊ है और न ही व्यापक स्तर पर किया जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों में आक्रोश व्याप्त है, वहीं संबंधित विभाग के अधिकारी इस पर कोई स्पष्ट जानकारी देने को तैयार नहीं हैं। नागरिकों का आरोप है कि अधिकारियों से संपर्क करना मुश्किल हो गया है, फोन भी रिसीव नहीं हो रहे। सड़क चौड़ीकरण और नवनिर्माण के लिए पेड़ों की कटाई तो कर दी गई, लेकिन वास्तविक निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ।
गागर और गेउर नदियों पर बने पुल भी खतरनाक स्थिति में हैं। इन पुलों पर सुरक्षा दीवार तक नहीं है, और बारिश में गड्ढों में पानी भर जाने से बड़े हादसों की आशंका बढ़ गई है। भारी वाहनों की आवाजाही इसी मार्ग से होती है, जिससे स्थिति और भी गंभीर है।
यात्रियों की बढ़ेगी मुसीबत
इस मार्ग पर प्रतिदिन 60 से अधिक बसें चलती हैं, जिनमें से कई बसें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई व कोरबा से होते हुए झारखंड और बिहार तक जाती हैं। ऐसे में मार्ग के बाधित होने की स्थिति में अन्य राज्यों के यात्रियों पर भी असर पड़ेगा।
चारपहिया वाहन कुछ हद तक वैकल्पिक ग्रामीण मार्गों का उपयोग कर रहे हैं, परंतु मालवाहक और बसें मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही निर्भर हैं।
निर्माण कार्य में देरी की वजह
लोक निर्माण विभाग के अनुसार, दो साल पहले टेंडर हुआ था, लेकिन अब जाकर कंपनी से अनुबंध किया गया है। तब सड़क की हालत उतनी खराब नहीं थी, लेकिन अब ठेका कंपनी ने कहा है कि या तो सड़क को दो साल पहले की स्थिति में सौंपा जाए या फिर मरम्मत के लिए अतिरिक्त बजट दिया जाए। वर्तमान परिस्थिति में स्वीकृत राशि से निर्माण कार्य करना घाटे का सौदा होगा। प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा गया है, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।