नई दिल्ली, 07 जून।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने शुक्रवार को जिनेवा में आयोजित ‘हीटवेव जोखिम प्रबंधन’ पर एक विशेष सत्र में भाग लेते हुए अत्यधिक गर्मी को एक वैश्विक संकट करार दिया और इससे निपटने के लिए सामूहिक वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान से जनस्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ रहा है।
डॉ. मिश्रा ने इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील का समर्थन करते हुए कहा कि हीटवेव एक सीमा-पार और प्रणालीगत चुनौती बन गई है, विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों के लिए। उन्होंने वैश्विक समुदाय से तकनीकी सहयोग, डेटा साझा करने और संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।
उन्होंने बताया कि भारत ने प्रतिक्रिया-आधारित मॉडल से आगे बढ़कर एकीकृत तैयारी और शमन रणनीतियों को अपनाया है। वर्तमान में देश के 23 गर्मी-संवेदनशील राज्यों के 250 से अधिक शहरों और जिलों में हीट एक्शन प्लान क्रियान्वित किए जा रहे हैं, जिन्हें एनडीएमए की तकनीकी और संस्थागत सहायता प्राप्त है।
डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि बेहतर मॉनिटरिंग, स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी और जन-जागरूकता अभियानों की बदौलत ताप संबंधित मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
उन्होंने एक अहम नीति परिवर्तन की घोषणा करते हुए कहा कि अब राष्ट्रीय और राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि (SDMF) का उपयोग हीटवेव न्यूनीकरण के लिए भी किया जा सकेगा। इससे स्थानीय निकायों, निजी कंपनियों, एनजीओ और नागरिकों को मिलकर ऐसे प्रोजेक्ट्स में सह-वित्तपोषण की सुविधा मिलेगी, जिससे साझा जिम्मेदारी को बढ़ावा मिलेगा।
अंत में उन्होंने दोहराया कि भारत वैश्विक साझेदारों के साथ अपने अनुभव, तकनीकी दक्षता और संस्थागत ताकत साझा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि दुनिया भर में गर्मी के प्रति एक समन्वित, लचीली और सक्रिय प्रतिक्रिया विकसित की जा सके।