हरिद्वार, 03 जून। स्वामी परमानंद महाराज द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान महंतों की तुलना कुत्तों से करने वाले विवादित बयान ने संत समाज में भारी नाराजगी और आक्रोश उत्पन्न कर दिया है। इस मामले पर संत समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इस तरह के अपमानजनक बयानों को कतई बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के महंत सचिव स्वामी रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि यह बयान किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। एक वरिष्ठ संत द्वारा सार्वजनिक मंच पर इस प्रकार की अभद्र भाषा का उपयोग करना अनुचित और अपमानजनक है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसे बयानों की पुनरावृत्ति हुई तो अखाड़ा परिषद कठोर कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगा।
उन्होंने बताया कि इस विवादित बयान को लेकर पूरे देश के संतों में भारी आक्रोश है, खासकर गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के संत इसपर विशेष रूप से नाराज हैं। संतों को आश्वासन दिया गया है कि भविष्य में इस तरह की अनुचित हरकतों पर कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन एक वरिष्ठ संत के लिए इस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग बेहद गैरजिम्मेदाराना है।
वहीं, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर स्वामी परमानंद महाराज के शिष्य से बातचीत की है और कड़ा संदेश दिया है कि इस तरह की बातों को दोहराया न जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि परमानंद महाराज का यह बयान निंदनीय है और संत समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा।
इसके अलावा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं निर्मोही अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास महाराज ने कहा कि जिन्होंने महंतों की तुलना कुत्तों से की है, उन्हें भी अपने आश्रम और मंदिरों की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। संतों को अपनी भाषा और आचरण में संयम बरतना चाहिए, क्योंकि इस तरह की बयानबाजी संत समाज के लिए उपयुक्त नहीं है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब दो दिन पूर्व कनखल स्थित वात्सल्य गंगा आश्रम के उद्घाटन समारोह में स्वामी परमानंद महाराज ने अपने संबोधन के दौरान महंतों की तुलना कुत्तों से कर दी थी। इस दौरान मंच पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी मौजूद थीं, जिससे यह विवाद और बढ़ गया।