डलास (टेक्सास), 11 जून। अमेरिका के सबसे बड़े प्रोटेस्टेंट संप्रदाय दक्षिणी बैपटिस्ट कन्वेंशन (एसबीसी) ने अपनी वार्षिक बैठक में समलैंगिक विवाह को वैध ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है। मंगलवार को हुए इस मतदान में भारी बहुमत से ओबर्गेफेल बनाम होजेस (2015) केस को पलटने की मांग का समर्थन किया गया।
यूएस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव उस व्यापक अभियान का हिस्सा है जो अमेरिका में पारंपरिक विवाह की पुनर्परिभाषा को लेकर शुरू किया गया है। एसबीसी ने इस प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से विवाह को केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच का बंधन बताया है और कहा है कि यह ईसाई विश्वास और एक न्यायसंगत समाज के लिए आवश्यक है।
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी एसबीसी की बैठक में कई संवेदनशील सामाजिक विषयों पर विचार हुआ। आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के खिलाफ पहले प्रस्ताव के बाद, इस बार प्रस्ताव में वाणिज्यिक सरोगेसी और ट्रांसजेंडर विचारधारा के सामान्यीकरण का भी विरोध किया गया है।
प्रस्ताव में दावा किया गया है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देना समाज की मूल संरचना को कमजोर करता है, प्रजनन दर घटाता है, और बच्चों के अधिकारों और मूल्यों को प्रभावित करता है। इसमें यह भी उल्लेख है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पुरुष और महिला के जैविक अंतर को अनदेखा करता है।
एसबीसी के रूढ़िवादी गुट इस समय को बदलाव के लिए उपयुक्त मानते हैं, विशेषकर सुप्रीम कोर्ट के रूढ़िवादी रुख और ट्रंप के संभावित दूसरे कार्यकाल के मद्देनजर। फेथ विन्स संगठन के चैड कोनेली ने कन्वेंशन में कहा कि यह समय न्यायशास्त्र में परिवर्तन लाने का है।
यह प्रस्ताव डेनी बर्क द्वारा प्रस्तुत किया गया, जो वर्तमान में काउंसिल फॉर बाइबिलिकल मैनहुड एंड वूमनहुड के अध्यक्ष हैं। बर्क और उनके सहयोगी पहले भी 1987 के डेनवर स्टेटमेंट और 2017 के नैशविले स्टेटमेंट के जरिए LGBTQ+ अधिकारों का विरोध कर चुके हैं। नैशविले स्टेटमेंट में समलैंगिकता और ट्रांसजेंडर पहचान को “पाप” बताया गया था और इसे ईसाई विश्वास पर खतरा बताया गया था।