शिमला, 21 जून।
हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मातृ-शिशु चिकित्सालय कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) में शुक्रवार रात एक अजीबो-गरीब घटना सामने आई, जिसने अस्पताल प्रशासन से लेकर आम लोगों को भी चौंका दिया। मंडी जिले के करसोग उपमंडल के निहरी क्षेत्र की एक महिला ने दावा किया कि उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने नवजातों को “गायब” कर दिया है।
इस गंभीर आरोप से अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई और महिला के पति, सास, बहन और जीजा ने भी उसके बयान का समर्थन किया। मामला धीरे-धीरे उग्र होता गया और अस्पताल प्रशासन पर दबाव बढ़ता गया। महिला का आरोप था कि उसके बच्चों को चुराया गया है, जिससे स्थानीय लोगों में भी नाराजगी फैल गई।
मेडिकल रिकॉर्ड ने खोली सच्चाई
हालांकि, मामला पूरी तरह पलट गया जब अस्पताल प्रबंधन ने महिला के पुराने मेडिकल रिकॉर्ड और वर्तमान जांच रिपोर्ट्स पेश कीं। जानकारी के अनुसार महिला निर्मला बीते दो वर्षों से बांझपन के इलाज के लिए इसी अस्पताल में इलाजरत थी और उसकी सभी प्रेग्नेंसी टेस्ट रिपोर्ट्स नेगेटिव आई थीं।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि महिला मानसिक तनाव से जूझ रही है और उसमें फैंटम प्रेग्नेंसी के लक्षण पाए गए हैं — यह एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति होती है जिसमें महिला को भ्रम होता है कि वह गर्भवती है, जबकि वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता।
CCTV और मेडिकल रिपोर्ट्स ने किया खुलासा
डॉ. नेगी के अनुसार, महिला का यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट भी नेगेटिव पाया गया है और अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में वह बिना किसी प्रसव प्रक्रिया के सामान्य रूप से घूमती दिखाई दी। उन्होंने कहा कि यह आरोप पूरी तरह झूठे हैं और इससे अस्पताल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।
पुलिस जांच और कानूनी कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और महिला तथा उसके पति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। करीब चार घंटे तक चले इस हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद मेडिकल और डिजिटल सबूतों के आधार पर सच्चाई सामने आ गई।
पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ झूठे आरोपों तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि इसमें अस्पताल को जानबूझकर बदनाम करने की साजिश की भी संभावना दिख रही है। अब अस्पताल प्रशासन ने महिला और उसके परिजनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। महिला की मानसिक स्थिति की जांच रिपन अस्पताल में करवाई जा रही है।
डॉ. नेगी ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मियों के मनोबल को ठेस पहुंचाती हैं। दुर्भाग्यवश, महिला के परिजन भी उसकी मानसिक स्थिति को समझे बिना उसके आरोपों में साथ दे बैठे।