कोलकाता, 3 जून। स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) द्वारा हाल ही में जारी की गई नई भर्ती अधिसूचना को लेकर विवाद गरमाने लगा है। इस बार मामला कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, जहां 2016 की भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अभ्यर्थियों ने इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए कानूनी रास्ता अपनाया है।
याचिकाकर्ता लुबाना परवीन ने हाईकोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों में गठित विशेष पीठ के समक्ष याचिका दायर की है। मंगलवार को न्यायमूर्ति पार्थसारथी चट्टोपाध्याय ने इस केस को स्वीकार कर सुनवाई की अनुमति दी। अब मामला 5 जून को न्यायमूर्ति राजा बोस चौधुरी की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन ने 29 मई को नई भर्ती प्रक्रिया के नियम और 30 मई को 44 हजार पदों के लिए अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं, जैसे लिखित परीक्षा के अंकों में बदलाव, अनुभव आधारित अंक, उम्र में छूट की सीमाएं, और अन्य योग्यता मानदंड।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह नई अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट के 2016 के निर्देशों के सीधे विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया उसी वर्ष के नियमों और मानकों के आधार पर पूरी होनी चाहिए, और चयन केवल 2016 की परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के बीच ही होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि सरकार और एसएससी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। आयोग ने 2016 की प्रक्रिया को पूरा करने की बजाय 2025 के नए नियम लागू कर पुराने अभ्यर्थियों के अधिकारों की अनदेखी की है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार कई बार परीक्षा देता है, तो हर बार उसे उम्र में छूट मिलनी चाहिए। लेकिन नई अधिसूचना में इस छूट को केवल एक बार तक सीमित कर दिया गया है, जिससे कई योग्य अभ्यर्थी बाहर हो सकते हैं।
2016 की परीक्षा में लिखित परीक्षा के लिए कुल 55 अंक निर्धारित थे, जबकि अब लिखित परीक्षा 60 अंकों की कर दी गई है। इसके अलावा अनुभव के आधार पर 10 अंक अलग से दिए जाएंगे। यह बदलाव भी पुराने अभ्यर्थियों के पक्ष में नहीं है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह मामला सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों और न्याय के सिद्धांतों का प्रश्न है। वे चाहते हैं कि सरकार और एसएससी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें और भर्ती प्रक्रिया 2016 के नियमों के अनुसार पूरी हो।