कोलकाता, 14 अप्रैल — मुर्शिदाबाद में हाल ही में भड़की हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है, इसलिए वर्ष 2026 में होने वाला विधानसभा चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत कराया जाना चाहिए।

शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि हिंसा के दौरान राज्य सरकार मूकदर्शक बनी रही, जबकि भीड़ ने कई इलाकों में व्यापक तोड़फोड़ और आगजनी की। उन्होंने दावा किया कि जिन क्षेत्रों में हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक है, वहां लोगों को मतदान से रोका जाता है, और पुलिस सत्तारूढ़ दल की कैडर की तरह व्यवहार कर रही है। उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह हालात की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हालिया हिंसा के पीछे कट्टरपंथी जिहादी तत्व सक्रिय हैं, जिन्हें प्रशासन की ओर से अप्रत्यक्ष संरक्षण मिला हुआ है। अधिकारी ने कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव तभी संभव हैं जब राज्य में केंद्रीय शासन लागू हो।
विरोध से भड़की हिंसा
गौरतलब है कि हाल में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ शुरू हुआ विरोध धीरे-धीरे हिंसक झड़पों में बदल गया। इन घटनाओं में अब तक कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई घायल हुए हैं। हिंसा के दौरान दुकानों, घरों और होटलों में आगजनी की गई।
तृणमूल की प्रतिक्रिया
वहीं, भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि लोग बंगाल छोड़ नहीं रहे, बल्कि आंतरिक रूप से स्थानांतरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और हिंसा में शामिल दोषियों की पहचान की जा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी स्पष्ट किया है कि संशोधित वक्फ कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा।