जबलपुर, 29 मई। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच में एक हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान उस समय सभी चौंक गए जब आरोपी महिला, जो कि एक कॉलेज में केमिस्ट्री की प्रोफेसर हैं, ने कोर्ट में रसायन शास्त्र के तकनीकी पहलुओं के आधार पर अपनी दलील रखी। यह मामला उनके डॉक्टर पति की रहस्यमयी मौत से जुड़ा है, जिनकी मृत्यु इलेक्ट्रिक करंट से होने का आरोप लगाया गया है।
हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की संयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने महिला से पूछा कि “आप पर अपने पति को इलेक्ट्रिक शॉक देकर मारने का आरोप है,” तो उन्होंने तुरंत मेडिकल रिपोर्ट की वैज्ञानिक व्याख्या देते हुए कहा,
“सर, पोस्टमार्टम रूम में थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न में अंतर कर पाना आसान नहीं होता। अगर शरीर से करंट गुजरता है तो मेडिकल मेटल के कण टिशू में जम जाते हैं। उनकी सही पहचान तभी होती है जब उन्हें एचसीएल या नाइट्रिक एसिड में घोलकर टेस्ट किया जाए।”
यह तर्क सुनकर कोर्ट में मौजूद जज और अन्य लोग आश्चर्यचकित रह गए।
गौरतलब है कि यह मामला 2021 में ग्वालियर में सामने आया था, जब सेवानिवृत्त डॉक्टर नीरज पाठक की रहस्यमय हालत में मौत हो गई थी। उनकी पत्नी ने शुरुआत में दावा किया कि वह बेटे के साथ झांसी गई थीं और लौटने पर पति मृत मिले। लेकिन जांच में सामने आया कि उन्होंने पति को पहले नींद की गोलियां दीं और फिर इलेक्ट्रिक शॉक देकर हत्या की।
2022 में सेशन कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद महिला प्रोफेसर ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां से उन्हें कुछ महीने पहले जमानत मिल गई थी। अब हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है और तब तक आरोपी महिला को जमानत पर रहने की अनुमति दी है।