वाशिंगटन, 16 मई।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जन्मजात नागरिकता के संवैधानिक अधिकार पर गुरुवार को ऐतिहासिक सुनवाई शुरू कर दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही इस अधिकार पर जनवरी 2025 में प्रतिबंध लगा दिया था। उनके इस फैसले को 20 डेमोक्रेट शासित राज्यों के नागरिक अधिकार संगठनों और अप्रवासी समूहों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
संविधान के 14वें संशोधन के तहत, अमेरिका में जन्म लेने वाला प्रत्येक बच्चा अमेरिकी नागरिक होता है, चाहे उसके माता-पिता अमेरिका में अस्थायी रूप से रह रहे हों या अवैध रूप से। ट्रंप प्रशासन के नए आदेश में इस अधिकार को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चली दो घंटे की सुनवाई में न्यायिक क्षेत्राधिकार, राष्ट्रपति की संवैधानिक शक्तियां, और निचली अदालतों की सीमाएं जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बहस हुई।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि संघीय जज पूरे देश में किसी नीति को लागू होने से नहीं रोक सकते, जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश संविधान का उल्लंघन है और न्यायपालिका का दायित्व है कि वह नागरिक अधिकारों की रक्षा करे।
यदि सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो यह आदेश उन 28 राज्यों में प्रभावी हो सकता है जिन्होंने इस आदेश को चुनौती नहीं दी है। इससे अमेरिका में दोहरे नागरिकता मानकों की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जहां कुछ राज्यों में जन्म लेने वाले बच्चों को नागरिकता मिलेगी और कुछ में नहीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि न्यायाधीशों की राय विभाजित हो सकती है, जिससे यह मामला और लंबा खिंच सकता है और संभवतः संविधानिक संकट की ओर बढ़ सकता है। गुरुवार को हुई बहस से फिलहाल कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है।













