📍 स्थान : संतोषी माता मित्र मंडळ बालवाडी, श्री गणेश मंदिर प्रांगण, रामाबाई नगर नं. 2, वाटर टँक रोड, भांडुप (प.), मुंबई – 400078
📅 तारीख : 15/06/2025
“सेवा ही परम धर्म है” – इस दिव्य विचार को आत्मसात करते हुए मनराज प्रतिष्ठान, मुंबई ने भांडुप पश्चिम की संतोषी माता टेकडी पर आयोजित किया अपना 408वां नि:शुल्क आरोग्य शिबिर।
यह स्थान केवल एक गली का नाम नहीं, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की उम्मीद है, जो हर दिन संघर्ष करते हुए भी मुस्कुराना नहीं भूलते। ऐसे ही एक मोहल्ले में, जहाँ शायद बड़े अस्पतालों की दूरी इलाज को असंभव बना देती है, मनराज प्रतिष्ठान एक फरिश्ते की तरह पहुँचा – सेवा, स्नेह और संवेदना लेकर।
🔍 शिबिर की मुख्य झलकियाँ:
दमा (अस्थमा) जांच: 15 नागरिकों की विशेष तपासणी
कुल लाभार्थी: 77 मरीजों ने शिबिर का लाभ लिया
मोफत चष्मे वितरण: 29 नागरिकों को मुफ्त चश्मे दिए गए
थायरॉइड और शुगर टेस्टिंग: 35 लोगों की जांच की गई
आरोग्य सेवार्थ योगदान देनेवाले:
हिरेन पांचाल व सौ. पांचाल – आंखों की जांच में अनुभवी और संवेदनशील
डॉ. शिवानी यादव – जिनकी मुस्कान और समर्पण ने मरीजों में विश्वास और हौसला भर दिया
अनिल आगलदिवटे – संगठन और समन्वय में अथक
विद्यानंद यादव – हर मरीज के लिए सहज और सेवा में तत्पर

सेवा से जुड़ी एक भावना:
इस शिबिर में न कोई दिखावा था, न कोई मंच। था तो बस एक गली, कुछ बेंचें, एक मंदिर का आँगन और ढेर सारी ममता से लिपटी सेवा। जब एक बुजुर्ग महिला ने चश्मा पहनकर स्पष्ट दिखने पर आँखों में आँसू भरते हुए ‘धन्यवाद’ कहा, तब वहाँ मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भीग गईं।
यह आरोग्य शिबिर न केवल शरीर के लिए बल्कि मन और आत्मा को भी राहत देनेवाली अनुभूति थी।
संस्थापक श्री मनोज राजन नथानी का संदेश:
“शहर की चकाचौंध से दूर, इन गलियों में हमारे समाज की असली तस्वीर बसती है। यहाँ सेवा करना सौभाग्य की बात है। हमारा उद्देश्य केवल इलाज नहीं, बल्कि आत्मीयता से जुड़ना और ज़रूरतमंद को सम्मान देना है।”
एक और ईंट सेवा के मंदिर में:
408वाँ शिबिर एक और कदम था उस संकल्प की ओर – “जिथे गरज आहे, तिथे मनराज प्रतिष्ठान आहे।”
यह सेवा की श्रंखला कोई संख्या नहीं, बल्कि संवेदना और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है।
‘संतोषी माता की छाया में, सेवा की एक सुंदर सजा हुई तस्वीर’ — यह अनुभव सिर्फ एक दिन की गतिविधि नहीं, बल्कि सदैव दिल में बस जानेवाली स्मृति बन गया।
“आरोग्य ही खरा सौंदर्य आहे, आणि सेवा म्हणजेच ईश्वरपूजा” — मनराज प्रतिष्ठान याच विचाराने पुढे जात आहे।